कविता :-तेरे ख्याल

कविता :-तेरे ख्याल 

हम मशरूफ कही , किसी की बातो  में ।

हम खामोश यही,किसी की यादो में  ।

हम बेख़ौफ़ ही सही , किसीकी छत्र-छाया में ।

हम मदहोश कही ,किसीकी पनाहों में ।

हम खफा यही, किसी की नाखुश बातो में  ।

हम सिमट रहे वही, किसी की बाहो में ।

हमें फुरसत नही, मोहबत की बातो को भुला देने में ।

कोई महरबान कही , हमारी झल्ली सी हरकतों में ।

कोई चुप-चाप कही, हमारी दो नाराजगी की बातो में ।

घुप-चुप खयालो में, मशरूफ कोई कहा ।।

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3 Comments

  1. Nice one, but I believe there should have been 'में' at the ends of every line. Though not able to understand the very last word 'खा'

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  2. yes you are right...!!! now i hav made changes..

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